रोमियों की रूपरेखा I. नमस्कार आ विषय 1:1-17 उ. नमस्कार 1:1-7 ख. मण् डली सँ पौलुसक संबंध रोम १:८-१७ मे II. के आरोपण के औचित्य धर्म १:१८-५:२१ उ. धर्मक सार्वभौमिक आवश्यकता 1:18-3:20 1. गैर-यहूदी सभक अपराध 1:18-32 2. यहूदी सभक अपराधबोध 2:1-3:8 3. सार्वभौमिक अपराधबोधक प्रमाण 3:9-20 ख. के सार्वभौमिक प्रावधान धर्म 3:21-26 1. पापी सभक सामने प्रकट भेल 3:21 2. पापी सभक लेल प्राप्य 3:22-23 3. पापी मे प्रभावी 3:24-26 ग. धार्मिकता आ व्यवस्था 3:27-31 1. घमंड करबाक कोनो आधार नहि 3:27-28 2. एकमात्र परमेश्वर छथि 3:29-30 3. केवल विश्वास सँ धर्मी ठहराओल गेल 3:31 D. धर्मी ठहराओल आ पुरान नियम 4:1-25 1. नीक काजक संबंधसँ औचित्य 4:1-8 2. अध्यादेशक संबंध सँ औचित्य 4:9-12 3. कानून के सम्बन्ध से औचित्य 4:13-25 ई. उद्धारक निश्चय 5:1-11 1. वर्तमान 5:1-4 के लेल प्रावधान 2. भविष्यक लेल गारंटी 5:5-11 च., औचित्य के सार्वभौमिकता 5:12-21 1. सार्वभौमिक के आवश्यकता धर्म 5:12-14 2. सार्वभौमिक के व्याख्या धर्म 5:15-17 3. सार्वभौमिक के अनुप्रयोग धर्म 5:18-21 तृतीय। धर्मक वितरण 6:1-8:17 उ. पवित्रीकरण के आधार : १. मसीह 6:1-14 के साथ पहचान ख. पवित्रीकरण मे नव सिद्धांत : १. धर्मक गुलाम 6:15-23 ग. पवित्रीकरण मे नव सम्बन्ध : १. व्यवस्था सँ मुक्ति 7:1-25 D. पवित्रीकरण मे नव शक्ति: द पवित्र आत्मा के काम 8:1-17 IV. धर्मी के अनुरूपता 8:18-39 उ. एहि वर्तमान समयक दुख 8:18-27 ख० - जे महिमा मे प्रकट होयत हमरा 8:28-39 मे वि. भगवान् के सम्बन्ध में धार्मिकता इस्राएल 9:1-11:36 के साथ उ. इस्राएल के अस्वीकार के तथ्य 9:1-29 ख. इस्राएल के अस्वीकृति के व्याख्या 9:30-10:21 ग. इस्राएल के संबंध में सांत्वना अस्वीकृति 11:1-32 D. परमेश् वरक बुद्धिक स्तुतिक एकटा डॉक्सोलॉजी 11:33-36 VI. काज मे परमेश् वरक धार्मिकता 12:1-15:13 उ. भगवान् के मूल सिद्धांत में काम में धर्म विश्वासी के जीवन 12:1-2 ख. भगवान के विशिष्ट अनुप्रयोग में काम में धर्म विश्वासी के जीवन 12:3-15:13 1. स्थानीय कलीसिया मे 12:3-21 2. राज्य मे 13:1-7 3. सामाजिक जिम्मेदारी मे 13:8-14 4. संदिग्ध (अनैतिक) बात मे 14:1-15:13 VII. परमेश् वरक धार्मिकता प्रसारित भेल 15:14-16:27 उ. रोमियो 15:14-21 लिखबाक पौलुसक उद्देश्य ख. भविष्यक लेल पौलुसक योजना 15:22-33 ग. पौलुसक प्रशंसा आ चेतावनी 16:1-27