भजन
150:1 अहाँ सभ प्रभुक स्तुति करू। हुनकर पवित्र स्थान मे परमेश् वरक स्तुति करू, हुनकर स्तुति करू
अपन शक्तिक आकाश।
150:2 ओकर पराक्रमक काजक लेल ओकर प्रशंसा करू, ओकर उत्कृष्टताक अनुसार ओकर प्रशंसा करू
महानता।
150:3 तुरहीक आवाज सँ ओकर स्तुति करू, भजन सँ ओकर स्तुति करू
आ वीणा।
150:4 टिम्बर आ नाच सँ ओकर स्तुति करू, तार सँ ओकर स्तुति करू
वाद्ययंत्र आ अंग।
150:5 जोर-जोर सँ झाँझ पर ओकर स्तुति करू, उच्च ध्वनि पर ओकर स्तुति करू
झांझ।
150:6 जे किछु साँस रखैत अछि, ओ प्रभुक स्तुति करय। अहाँ सभ प्रभुक स्तुति करू।