भजन
126:1 जखन परमेश् वर सियोनक बंदी केँ फेर सँ घुमा देलनि तखन हम सभ हुनका सभक समान छलहुँ
स्वप्न.
126:2 तखन हमरा सभक मुँह हँसी सँ भरल आ जीह गान सँ भरल।
तखन ओ सभ जाति-जाति मे कहलथिन, “परमेश् वर बहुत पैघ काज कयलनि।”
हुनकर.
126:3 प्रभु हमरा सभक लेल बहुत पैघ काज कयलनि। जाहि सँ हम सभ प्रसन्न छी।
126:4 हे प्रभु, हमरा सभक बंदी केँ फेर सँ घुमा दियौक जेना दक्षिण दिसक धार सभ।
126:5 जे नोर बोनि रहल अछि, ओ सभ आनन्द मे फसल काटि लेत।
126:6 जे अनमोल बीया लऽ कऽ आगू बढ़ैत अछि आ कानैत अछि, से निस्संदेह
अपन गुच्छा ल' क' हर्षित भ' क' फेर आबि जाउ।