भजन 54:1 हे परमेश् वर, हमरा अपन नाम सँ बचाउ, आ अपन सामर्थ् य सँ हमरा पर न्याय करू। 54:2 हे परमेश् वर, हमर प्रार्थना सुनू। हमर मुँहक बात पर कान दियौक। 54:3 किएक तँ परदेशी सभ हमरा विरुद्ध उठि गेल अछि आ अत्याचारी सभ हमर पाछाँ चाहैत अछि आत्मा : ओ सभ भगवान् केँ अपना सोझाँ नहि रखने छथि। सेलाह। 54:4 देखू, परमेश् वर हमर सहायक छथि। 54:5 ओ हमर शत्रु सभ केँ अधलाहक फल देत, ओकरा सभ केँ अपन सत्य मे काटि दियौक। 54:6 हम अहाँक लेल मुफ्त मे बलिदान देब, हे प्रभु, हम अहाँक नामक स्तुति करब। क लेल नीक अछि। 54:7 किएक तँ ओ हमरा सभ विपत्ति सँ मुक्त कऽ देलनि, आ हमर आँखि ओकर आँखि देखि लेलक हमर शत्रु पर इच्छा।