यशायाह 4:1 ओहि दिन सातटा स् त्री एकटा पुरुष केँ पकड़ि लेतीह आ कहतीह जे, “हम सभ चाहैत छी।” अपन रोटी खाउ आ अपन वस्त्र पहिरू तोहर नाम, हमरा सभक निन्दा दूर करबाक लेल। 4:2 ओहि दिन परमेश् वरक डारि सुन्दर आ गौरवशाली होयत पृथ्वीक फल उत्तम आ सुन्दर होयत जे सभ अछि इस्राएलसँ भागि गेल। 4:3 एहन होयत जे सियोन मे जे बचल अछि आ जे यरूशलेम मे रहत, पवित्र कहल जायत, जे कियो अछि यरूशलेम मे जीवित लोकक बीच लिखल गेल अछि। 4:4 जखन प्रभु सिय्योनक बेटी सभक गंदगी केँ धो देताह। ओ यरूशलेमक खून ओकरा बीच सँ शुद्ध कऽ लेताह।” न्यायक आत् मा, आ जरेबाक आत् मा द्वारा। 4:5 परमेश् वर सियोन पहाड़क सभ निवास स्थान पर सृजन करताह आ... ओकर सभा पर दिन मे मेघ आ धुँआ आ क राति मे ज्वालामुखी आगि, कारण समस्त महिमा पर रक्षा होयत। 4:6 दिन मे छायाक लेल तम्बू रहत गर्मी, आ शरणस्थानक लेल, आ आंधी-तूफान आ सँ गुप्त रहबाक लेल बारिश.