उपदेशक 11:1 अपन रोटी पानि पर फेकि दियौक, किएक तँ अहाँ ओकरा बहुत दिनक बाद पाबि लेब। 11:2 सात गोटे केँ भाग दिअ आ आठ गोटे केँ सेहो। किएक तँ अहाँ नहि जनैत छी जे की।” पृथ्वी पर अधलाह होयत। 11:3 मेघ जँ बरखासँ भरल रहैत अछि तँ ओ पृथ्वी पर खाली भऽ जाइत अछि जँ गाछ दक्षिण दिस, वा उत्तर दिस, ओहि ठाम खसि पड़य जतए गाछ खसत, ओतहि रहत। 11:4 जे हवाक पालन करैत अछि से बोनि नहि करत। आ जे परवाह करैत अछि मेघ फसल नहि काटि लेत। 11:5 जेना अहाँ नहि जनैत छी जे आत् माक बाट की होइत छैक आ ने हड्डी कोना होइत छैक गर्भवतीक गर्भ मे बढ़ब परमेश् वरक काज जे सभ केँ बनबैत छथि। 11:6 भोरे अपन बीया बोउ, आ साँझ मे हाथ नहि रोकू। कारण, अहाँ ई नहि जनैत छी जे ई वा ओ, वा दुनू एक समान नीक हेताह कि नहि। 11:7 सत्ते इजोत मीठ होइत अछि, आ आँखिक लेल एकटा सुखद बात अछि देखू सूर्य केँ। 11:8 मुदा जँ केओ बहुत वर्ष जीवित रहैत अछि आ सभ मे आनन्दित होइत अछि। तैयो ओकरा छोड़ि दियौक अन्हारक दिन मोन राखू; किएक तँ ओ सभ बेसी हेताह। जे किछु अबैत अछि आडंबर अछि। 11:9 हे युवक, अपन जवानी मे आनन्दित रहू। आ तोहर हृदय तोरा उत्साहित करय जवानीक दिन, अपन हृदयक बाट आ नजरि मे चलैत रहू तोहर आँखि सँ देखू, मुदा ई जानि लिअ जे परमेश् वर एहि सभ बातक लेल अनताह।” तोरा न्याय मे। 11:10 तेँ अपन हृदय सँ दुःख दूर करू आ अपन बुराई केँ दूर करू मांस : कारण बचपन आ युवावस्था आडंबर अछि।