द्वितीय जॉन की रूपरेखा

I. अभिवादन 1-3

II. भूतकाल के निष्ठा के लिये प्रशंसा 4

तृतीय। धोखेबाज के संबंध में उपदेश 5-11
उ. निरंतर प्रेमक आवश्यकता आ
परमेश् वरक आज्ञाक पालन करब 5-6
ख. धोखेबाजक वर्णन 7
ग. लगन, विवेकक आवश्यकता, २.
आ उचित प्रतिक्रिया 8-11

IV. समापन आ इरादा जल्दिये भेंट करबाक
व्यक्ति 12-13 के