स्तोत्र 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तेरी दोहाई दी है। 130:2 हे यहोवा, मेरी सुन। तेरा कान मेरी बात पर लगा रहे प्रार्थना। 130:3 हे यहोवा, यदि तू अधर्म पर दृष्टि लगाए, हे यहोवा, कौन खड़ा रहेगा? 130:4 परन्तु तेरे पास क्षमा है, जिस से तेरा भय माना जाए। 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मैं उसके वचन पर आशा रखता हूं। 130:6 भोर की बाट जोहनेवालों से अधिक मैं यहोवा की बाट जोहता हूं; मैं कहता हूँ, उन से अधिक जो सवेरे की बाट जोहते हैं। 130:7 इस्राएल यहोवा पर आशा रखे, क्योंकि यहोवा ही पर दया है, और साथ भी है वह भरपूर मोचन है। 130:8 और वह इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से छुड़ाएगा॥