स्तोत्र
129:1 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार दु:ख देते आए हैं, इस्राएल अब कहे,
Psa 129:2 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार दु:ख देते आए हैं, परन्u200dतु ऐसा नहीं किया
मेरे विरुद्ध प्रबल हुआ।
Psa 129:3 हल जोतने वालों ने मेरी पीठ पर हल चलाया, उन्होंने अपनी रेघाएं लम्बी कीं।
Psa 129:4 यहोवा धर्मी है; उस ने दुष्टोंके रस्सोंको काट डाला है।
Psa 129:5 जो सिय्योन से बैर रखते हैं, वे सब लज्जित हों, और लौट आएं।
129:6 वे छत पर की घास के समान हो जाएं, जो उसके साम्हने सूख जाती है
वृद्धि:
129:7 घास काटने वाला अपना हाथ नहीं भरता; न वह जो पूलोंको बान्धता है
उसकी छाती।
129:8 और न जानेवाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर हो।
हम तुम्हें यहोवा के नाम से आशीष देते हैं।