स्तोत्र
127:1 यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ ही होगा।
जब तक यहोवा नगर की रक्षा न करे, तब तक पहरुए का जागना व्यर्थ ही होगा।
127:2 सवेरे उठना और देर से उठकर रोटी खाना तेरे लिथे व्यर्थ है
दु: ख: के लिए वह अपने प्यारे नींद देता है।
127:3 देखो, लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं, और गर्भ का फल है
उसका इनाम।
Psa 127:4 वीर के हाथ में तीर की नाईं रहता है; तो युवाओं के बच्चे हैं।
Psa 127:5 क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जिसका तरकश उन से भरा है; वे न रहेंगे
वे लज्जित होंगे, परन्तु वे फाटक के भीतर शत्रुओं से बातें करेंगे।