स्तोत्र
114:1 जब इस्राएल मिस्र देश से निकला, तब याकूब का घराना अपक्की प्रजा के बीच से निकला या
अजीब भाषा;
114:2 यहूदा उसका पवित्रस्थान और इस्राएल उसकी प्रभुता थी।
114:3 समुद्र यह देखकर भागा; यरदन पीछे हटा दिया गया।
114:4 पहाड़ मेढ़ों के नाईं और पहाडिय़ां मेम्नों के नाईं उछलने लगीं।
114:5 हे समुद्र तुझे क्या हुआ, कि तू भाग गया? तू जॉर्डन, कि तू
क्या वापस चलाया गया?
114:6 हे पहाड़ों, तुम मेढ़ों की नाईं उछले; और तुम छोटी पहाड़ियों, जैसे
मेमने?
114:7 हे पृथ्वी, यहोवा के साम्हने, उसके साम्हने थरथरा
याकूब का परमेश्वर;
114:8 जिस ने चट्टान को जल का जल, और चकमक के पत्थर को सोता बना डाला
पानी की।