स्तोत्र 21:1 हे यहोवा, राजा तेरी सामर्थ्य के कारण आनन्दित होगा; और तेरे उद्धार में कैसे वह बहुत आनन्दित होगा! 21:2 तू ने उसके मन की इच्छा पूरी की, और उसे रोक नहीं रखा उसके होठों का अनुरोध। सेला। 21:3 क्योंकि तू उसको भलाई की आशीष देकर रोकता है; उसके सिर पर शुद्ध सोने का मुकुट। 21:4 उस ने तुझ से प्राण मांगा, और तू ने उसे बहुत दिन के लिथे दे दिया हमेशा हमेशा। 21:5 तेरे किए हुए उद्धार के कारण उसकी महिमा महान है; तू ने उसकी प्रतिष्ठा और महिमा रखी है उस पर। 21:6 क्योंकि तू ने उसको सदा के लिथे धन्य ठहराया है; तू ने उसको बनाया है तेरे मुख से अति प्रसन्न हूं। 21:7 क्योंकि राजा का भरोसा यहोवा पर, और परम की करूणा से है ऊँचा वह नहीं हिलेगा। 21:8 तेरा हाथ तेरे सब शत्रुओं को ढूंढ निकालेगा; तेरा दहिना हाथ ढूंढ निकालेगा॥ जो तुझ से द्वेष करते हैं, उन्हें बाहर कर। व्यवस्थाविवरण 21:9 तू अपके कोप के समय उनको आग की तन्दूर सा बनाना यहोवा उन्हें अपने क्रोध में निगल जाएगा, और आग उन्हें भस्म कर देगी। 21:10 तू उनके फलों को पृथ्वी पर से, और उनके बीजों को बीच में से नष्ट करेगा पुरुषों के बच्चे। 21:11 क्योंकि उन्होंने तेरी हानि की कल्पना की है; जिसे वे निभा नहीं पा रहे हैं। व्यवस्थाविवरण 21:12 इसलिथे जब तू ऐसा करे, तब तू उनको उलट देना अपने तीरों को अपनी डोरियों पर उनके मुंह के साम्हने तैयार कर। 21:13 हे यहोवा, अपके बल से तू ऊंचा हो; तब हम गाएंगे और स्तुति करेंगे आपकी शक्ति।